भारतीय रेलवे ने हाल ही में ट्रेन टिकट बुकिंग का नियम बदलकर एडवांस रिजर्वेशन पीरियड (ARP) को 120 दिन से घटाकर 60 दिन कर दिया है। इसका मकसद टिकटों की कालाबाजारी रोकना और यात्रियों को सहूलियत देना बताया गया है। लेकिन, कई यात्रियों को यह शिकायत है कि 60 दिन पहले बुकिंग करने के बावजूद उनका टिकट वेटिंग या RAC लिस्ट में चला जाता है। ऐसा क्यों होता है? इस आर्टिकल में हम इसकी वजहें, समाधान और रेलवे के नए नियमों को विस्तार से समझेंगे।
रेलवे के आंकड़ों के मुताबिक, 21% टिकट (61-120 दिन पहले बुक किए गए) कैंसिल हो जाते थे, जिससे सीटों की बर्बादी होती थी। नए नियम से यह समस्या कम हुई है, लेकिन त्योहारों या छुट्टियों के दौरान ट्रेनों की भीड़ और सीटों की कमी के कारण वेटिंग/RAC की समस्या बनी रहती है। कई बार तकनीकी गड़बड़ियाँ भी RAC टिकट को अचानक वेटिंग में बदल देती हैं।
60 दिन पहले बुकिंग के बाद भी वेटिंग/RAC क्यों?
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त्योहारी सीजन में अधिक मांग | ट्रेनों में सीटें जल्दी फुल जाती हैं |
टिकट कैंसिलेशन की दर कम होना | वेटिंग टिकट कन्फर्म होने के चांस कम |
तकनीकी गड़बड़ियाँ (सर्वर/सॉफ्टवेयर) | RAC टिकट का वेटिंग में बदलना |
कोच/बर्थ की कमी | RAC धारकों को पूरी सीट न मिल पाना |
विशेष ट्रेनों का न चलना | भीड़ का मेन ट्रेनों पर दबाव |
यात्रियों द्वारा एक से अधिक टिकट बुक करना | सीटों का गलत इस्तेमा |
वेटिंग/RAC टिकट के मुख्य कारण
1. त्योहारों/छुट्टियों में भीड़
दिवाली, होली, छठ जैसे त्योहारों या गर्मियों की छुट्टियों में ट्रेनों की मांग 3-4 गुना तक बढ़ जाती है। ऐसे में 60 दिन पहले बुकिंग करने पर भी सीटें फुल होने लगती हैं।
2. तकनीकी समस्याएँ
कभी-कभी IRCTC के सर्वर या सॉफ्टवेयर में गड़बड़ी के कारण RAC टिकट अचानक वेटिंग लिस्ट में शिफ्ट हो जाता है। ऐसा डेटा सिंक्रोनाइजेशन की गलती या कोच अवेलेबिलिटी में बदलाव के कारण होता है।
3. सीटों का गलत आवंटन
कुछ यात्री एक से ज्यादा टिकट बुक करके सीटें होल्ड करते हैं। बाद में कैंसिल करने पर वेटिंग लिस्ट वाले यात्रियों को कन्फर्मेशन मिलता है, लेकिन अगर कैंसिलेशन कम हों तो RAC भी वेटिंग में बदल जाता है।
4. कोच की कमी
अगर ट्रेन का कोई कोच टेक्निकल प्रॉब्लम के कारण हटा दिया जाता है (जैसे: AC कोच खराब होना), तो उस कोच के RAC टिकट ऑटोमैटिक वेटिंग में बदल जाते हैं।
क्या करें अगर टिकट वेटिंग/RAC हो जाए?
- VIKALP स्कीम का इस्तेमाल करें: अगर आपका टिकट कन्फर्म नहीं होता है, तो VIKALP के जरिए अल्टरनेट ट्रेन में सीट पाने का विकल्प चुनें।
- क्लास अपग्रेडेशन चेक करें: कभी-कभी स्लीपर से AC या AC से फर्स्ट क्लास में अपग्रेडेशन मिल जाता है।
- स्पेशल ट्रेनों की जानकारी लें: त्योहारों के दौरान रेलवे क्लोन/स्पेशल ट्रेनें चलाता है, जिनमें सीटें जल्दी मिलती हैं।
- चार्ट तैयार होने के बाद चेक करें: अंतिम समय में कैंसिलेशन के कारण RAC/वेटिंग टिकट कन्फर्म हो सकते हैं।
निष्कर्ष
रेलवे का 60 दिन का एडवांस बुकिंग नियम टिकटों की कालाबाजारी रोकने में मददगार है, लेकिन भीड़-भाड़ वाले मौसम में वेटिंग/RAC की समस्या बनी रहती है। अगर आपका टिकट कन्फर्म नहीं होता है, तो VIKALP स्कीम या स्पेशल ट्रेनों का विकल्प आजमाएँ। साथ ही, टिकट बुक करते समय यात्रा की तारीख से 60 दिन पहले का ही चुनाव करें, क्योंकि इससे पहले बुकिंग अब संभव नहीं है।
डिस्क्लेमर
- यह जानकारी फरवरी 2025 तक के रेलवे नियमों पर आधारित है। भविष्य में नियम बदल सकते हैं।
- RAC टिकट पर यात्रा की अनुमति है, लेकिन वेटिंग टिकट वाले यात्रियों को जनरल डब्बे में ही सफर करना पड़ेगा।
- तकनीकी गड़बड़ियों के कारण टिकट स्टेटस में बदलाव हो सकता है, इसके लिए रेलवे जिम्मेदार नहीं है।
सलाह: त्योहारी सीजन में ऑफ-पीक डेट पर यात्रा करने की कोशिश करें। इससे सीट मिलने के चांस बढ़ जाते हैं!