राजस्थान में नए हाईवे की बड़ी अपडेट, 7 नए गांवों को मिलेगा कनेक्शन, रूट में बड़ा बदलाव New Highway 2025

राजस्थान में सड़क यातायात को सुगम बनाने और दुर्घटनाओं को कम करने के लिए राज्य सरकार लगातार प्रयासरत है। इसी दिशा में, कई राष्ट्रीय राजमार्गों के रूट में बदलाव किए जा रहे हैं। इन बदलावों का मुख्य उद्देश्य यातायात को सुगम बनाना, सड़क सुरक्षा में सुधार करना और राज्य की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना है। हाल ही में, राष्ट्रीय राजमार्ग 11 (NH-11) के रूट में भी महत्वपूर्ण परिवर्तन किए गए हैं, जिसके तहत अब यह राजमार्ग कुछ नए गांवों से होकर गुजरेगा। इस बदलाव से कई जिलों के लोगों को सीधा लाभ मिलेगा और उनका सफर आसान हो जाएगा।

यह फैसला राज्य सरकार और भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) के बीच समन्वय का परिणाम है। नए रूट के निर्माण से न केवल यातायात का दबाव कम होगा, बल्कि यह क्षेत्र के आर्थिक विकास को भी गति देगा। इस लेख में, हम राजस्थान में राष्ट्रीय राजमार्गों के रूट में हुए बदलावों, विशेषकर NH-11 में हुए परिवर्तन और इसके प्रभाव पर विस्तार से चर्चा करेंगे। साथ ही, हम यह भी जानेंगे कि यह नया हाइवे किन-किन गांवों से होकर गुजरेगा और इससे स्थानीय लोगों को क्या फायदे होंगे।

राष्ट्रीय राजमार्ग 11 (NH-11) का रूट परिवर्तन: मुख्य बातें

विशेषताविवरण
राजमार्ग का नामराष्ट्रीय राजमार्ग 11 (NH-11)
रूट में परिवर्तन का कारणवन विभाग द्वारा झुंझुनूं बीड़ क्षेत्र में फोरलेन सड़क निर्माण की अनुमति न मिलना
नया रूटझुंझुनूं से बुडाना, मालीगांव, अलीपुर, पटेल नगर, पृथ्वीराजपुरा, ब्राह्मणों की ढाणी, तोलासेही, सांवलोद, गुजरवास होते हुए सिंघाना-पचेरी राजमार्ग
सड़क की चौड़ाई17 मीटर
अनुमानित लागत1400 करोड़ रुपये
निर्माण की उम्मीदअगले वर्ष से
इंटरचेंज जंक्शनझुंझुनूं और पचेरी में
अंडरपासप्रत्येक 500 मीटर पर

यह नया रूट न केवल यातायात को सुगम बनाएगा, बल्कि स्थानीय लोगों के लिए भी कई अवसर लेकर आएगा। किसानों की जमीन की कीमत में वृद्धि होगी और गांवों में विकास को बढ़ावा मिलेगा।

झुंझुनूं जिले में राष्ट्रीय राजमार्ग 11 का नया रूट 

झुंझुनूं जिले में राष्ट्रीय राजमार्ग 11 के रूट में बदलाव एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम है। इस बदलाव का मुख्य कारण वन विभाग द्वारा झुंझुनूं बीड़ क्षेत्र में फोरलेन सड़क बनाने की अनुमति नहीं देना था। वन विभाग का मानना था कि इस क्षेत्र में सड़क निर्माण से वन्यजीवों को खतरा हो सकता है, इसलिए उन्होंने एलिवेटेड रोड बनाने की सिफारिश की थी।

हालांकि, एलिवेटेड रोड की लागत अधिक होने के कारण NHAI ने रूट को बदलने का फैसला किया। अब, यह राजमार्ग झुंझुनूं से शुरू होकर बुडाना, मालीगांव, अलीपुर, पटेल नगर, पृथ्वीराजपुरा, ब्राह्मणों की ढाणी, तोलासेही, सांवलोद, गुजरवास होते हुए सिंघाना-पचेरी राजमार्ग पर पहुंचेगा। इस नए रूट से झुंझुनूं और पचेरी में इंटरचेंज जंक्शन भी बनाए जाएंगे, जिससे यातायात और भी सुगम हो जाएगा。

झुंझुनूं जिले में NH-11 के नए रूट का विवरण

पहलूविवरण
रूट परिवर्तन का कारणवन विभाग की अनुमति न मिलना
नया रूटझुंझुनूं से बुडाना, मालीगांव, अलीपुर, पटेल नगर, पृथ्वीराजपुरा, ब्राह्मणों की ढाणी, तोलासेही, सांवलोद, गुजरवास
इंटरचेंज जंक्शनझुंझुनूं और पचेरी में
सड़क की ऊंचाईजमीन से तीन मीटर ऊपर
भूमि अधिग्रहण60 मीटर चौड़ी जमीन

इस नए रूट के निर्माण से क्षेत्र में यातायात सुगम होगा और स्थानीय विकास को बढ़ावा मिलेगा। हालांकि, भूमि अधिग्रहण और पर्यावरणीय संतुलन को ध्यान में रखते हुए परियोजना को आगे बढ़ाना महत्वपूर्ण होगा2

राजस्थान के तीन नए फोरलेन राजमार्ग 

राजस्थान सरकार ने राज्य में सड़क यातायात की बढ़ती मांग और दुर्घटनाओं की बढ़ती संख्या को देखते हुए तीन प्रमुख राष्ट्रीय राजमार्गों को फोरलेन में परिवर्तित करने का निर्णय लिया है। इनमें लालसोट से कोथून (एनएच 23), मनोहरपुर से दौसा (एनएच 148), और सालासर से नागौर (एनएच 58) शामिल हैं। इस पहल का उद्देश्य यातायात को सुगम बनाना और सड़क सुरक्षा में सुधार करना है।

वर्तमान में, ये राजमार्ग दो लेन के हैं, जिन पर बढ़ते यातायात के कारण जाम और दुर्घटनाओं की संभावना बढ़ गई है। फोरलेन में परिवर्तन से न केवल यातायात का प्रवाह बेहतर होगा, बल्कि दुर्घटनाओं की संख्या में भी कमी आएगी। इसके अतिरिक्त, व्यापार और परिवहन की गति में वृद्धि से राज्य की अर्थव्यवस्था को भी लाभ होगा।

राजस्थान के तीन नए फोरलेन राजमार्गों का विवरण

राजमार्गविवरण
लालसोट से कोथून (एनएच 23)यह मार्ग वर्तमान में दो लेन का है और अत्यधिक व्यस्त रहता है। फोरलेन बनने से वाहनों की आवाजाही में आसानी होगी और दुर्घटनाओं की संभावना कम होगी।
मनोहरपुर से दौसा (एनएच 148)इस मार्ग पर वाहनों की संख्या में निरंतर वृद्धि हो रही है, जिससे ट्रैफिक जाम की समस्या उत्पन्न हो रही है। फोरलेन निर्माण से इस समस्या का समाधान होगा।
सालासर से नागौर (एनएच 58)क्षेत्रीय परिवहन के लिए महत्वपूर्ण इस मार्ग को फोरलेन में बदलने से सफर अधिक सुरक्षित और सुगम होगा।

इन राजमार्गों को फोरलेन में बदलने से राज्य के सड़क नेटवर्क में सुधार होगा और लोगों को बेहतर कनेक्टिविटी मिलेगी।

राष्ट्रीय राजमार्ग 11 पर भूमि अधिग्रहण और मुआवजा 

राष्ट्रीय राजमार्ग 11 के नए रूट के निर्माण के लिए भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू हो गई है। इस प्रक्रिया के तहत, सरकार उन किसानों और भूस्वामियों को मुआवजा देगी जिनकी जमीन राजमार्ग के निर्माण के लिए अधिग्रहित की जाएगी। सरकार ने यह सुनिश्चित करने का वादा किया है कि मुआवजा उचित और बाजार दर के अनुसार होगा。

भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता बनाए रखने के लिए सरकार ने सभी संबंधित विभागों को निर्देश दिए हैं कि वे किसानों और भूस्वामियों के साथ संवाद स्थापित करें और उनकी समस्याओं का समाधान करें। सरकार का यह भी प्रयास है कि भूमि अधिग्रहण के कारण प्रभावित होने वाले लोगों को पुनर्वासित किया जाए और उन्हें आजीविका के नए अवसर प्रदान किए जाएं।

भूमि अधिग्रहण और मुआवजा: मुख्य बातें

पहलूविवरण
भूमि अधिग्रहण की प्रक्रियाराजमार्ग के निर्माण के लिए आवश्यक जमीन का अधिग्रहण
मुआवजासरकार द्वारा किसानों और भूस्वामियों को उनकी जमीन के बदले दिया जाने वाला मुआवजा
पारदर्शिता और निष्पक्षतासरकार यह सुनिश्चित करेगी कि भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता बनी रहे
पुनर्वास और आजीविकासरकार यह भी प्रयास करेगी कि भूमि अधिग्रहण के कारण प्रभावित होने वाले लोगों को पुनर्वासित किया जाए और उन्हें आजीविका के नए अवसर प्रदान किए जाएं

भूमि अधिग्रहण और मुआवजा एक संवेदनशील मुद्दा है, और सरकार इस मामले में पूरी सावधानी बरत रही है ताकि किसी भी व्यक्ति को कोई अन्याय न हो।

पर्यावरणीय प्रभाव और समाधान 

किसी भी विकास परियोजना का पर्यावरणीय प्रभाव एक महत्वपूर्ण पहलू होता है, और राष्ट्रीय राजमार्ग 11 के नए रूट का निर्माण भी इससे अछूता नहीं है। वन विभाग ने झुंझुनूं बीड़ क्षेत्र में फोरलेन सड़क निर्माण की अनुमति नहीं दी, क्योंकि यह क्षेत्र वन्यजीवों के लिए महत्वपूर्ण है。

इसके परिणामस्वरूप, NHAI ने रूट को बदलकर बीड़ से पांच किलोमीटर उत्तर दिशा में बनाने का निर्णय लिया। इसके अतिरिक्त, राजमार्ग के निर्माण के दौरान पर्यावरण को कम से कम नुकसान पहुंचाने के लिए कई उपाय किए जाएंगे। इनमें वृक्षारोपण, जल संरक्षण और वन्यजीवों के लिए सुरक्षित मार्ग बनाना शामिल है।

पर्यावरणीय प्रभाव और समाधान: मुख्य बातें

पहलूविवरण
पर्यावरणीय प्रभावराजमार्ग के निर्माण से पर्यावरण पर पड़ने वाला प्रभाव
वन विभाग की अनुमतिझुंझुनूं बीड़ क्षेत्र में फोरलेन सड़क निर्माण की अनुमति नहीं
रूट में परिवर्तनबीड़ से पांच किलोमीटर उत्तर दिशा में नया रूट
पर्यावरणीय उपायवृक्षारोपण, जल संरक्षण और वन्यजीवों के लिए सुरक्षित मार्ग बनाना

सरकार और NHAI दोनों ही पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध हैं और यह सुनिश्चित करेंगे कि राजमार्ग का निर्माण पर्यावरण के अनुकूल तरीके से हो।

निष्कर्ष 

राजस्थान में राष्ट्रीय राजमार्गों के रूट में बदलाव, विशेषकर राष्ट्रीय राजमार्ग 11 (NH-11) के रूट में परिवर्तन, राज्य के सड़क बुनियादी ढांचे को बेहतर बनाने और यातायात को सुगम बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस बदलाव से न केवल यातायात का दबाव कम होगा, बल्कि यह क्षेत्र के आर्थिक विकास को भी गति देगा। हालांकि, भूमि अधिग्रहण और पर्यावरणीय संतुलन को ध्यान में रखते हुए परियोजना को आगे बढ़ाना महत्वपूर्ण होगा।

सरकार और NHAI दोनों ही यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं कि राजमार्ग का निर्माण पर्यावरण के अनुकूल तरीके से हो और किसी भी व्यक्ति को कोई अन्याय न हो। हमें उम्मीद है कि यह लेख आपको राजस्थान में राष्ट्रीय राजमार्गों के रूट में हुए बदलावों के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करने में सफल रहा है।

Disclaimer : इस लेख में दी गई जानकारी विभिन्न स्रोतों से प्राप्त की गई है और इसे यथासंभव सटीक बनाने का प्रयास किया गया है। हालांकि, हम इस जानकारी की पूर्णता या सटीकता की गारंटी नहीं देते हैं। राष्ट्रीय राजमार्गों के रूट में बदलाव और निर्माण से संबंधित निर्णय सरकार और NHAI द्वारा लिए जाते हैं, और इन निर्णयों में समय-समय पर परिवर्तन हो सकता है। इसलिए, हम आपको सलाह देते हैं कि आप नवीनतम जानकारी के लिए आधिकारिक स्रोतों से संपर्क करें।

Leave a Comment

Join Whatsapp